नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) सोमवार को दो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के बाद कुछ समय कक्षा में रहने वाले पीएसएलवी रॉकेट का चौथा चरण स्टार्ट-अप और निजी संस्थानों को बाहरी अंतरिक्ष में प्रयोग करने का अवसर देगा।
भारत का अंतरिक्ष नियामक इन परियोजनाओं को वास्तविकता में बदलने में एक साझा कड़ी के रूप में उभर रहा है।
पीएसएलवी कक्षीय प्रयोग मॉड्यूल (पीओईएम) अंतरिक्ष में विभिन्न प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिए 24 प्रयोग करेगा। इनमें 14 प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की विभिन्न प्रयोगशालाओं से और प्रयोग 10 निजी विश्वविद्यालयों तथा ‘स्टार्ट-अप’ से संबंधित हैं।
स्टार्ट-अप और निजी विश्वविद्यालयों के उपकरणों के बीच एक साझा कड़ी भारत का अंतरिक्ष नियामक एवं प्रवर्तक भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अहमदाबाद मुख्यालय में स्थित तकनीकी केंद्र है।
इन-स्पेस के निदेशक राजीव ज्योति ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम उन्हें परीक्षण सुविधाओं के साथ-साथ किसी भी समस्या के समाधान के लिए सलाहकारों की मदद सहित सभी सहायता देते हैं।’’
बाहरी अंतरिक्ष में बीज के अंकुरण का प्रदर्शन, वहां मौजूद मलबे को पकड़ने के लिए एक रोबोटिक हाथ और हरित प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण इसरो के पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण ‘पीओईएम-4’ से संबंधित नियोजित कुछ प्रयोग हैं।
इसरो ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा विकसित कक्षीय पादप अध्ययन के लिए कॉम्पैक्ट अनुसंधान मॉड्यूल (क्रॉप्स) के हिस्से के रूप में सक्रिय ताप नियंत्रण के साथ बंद बॉक्स जैसे वातावरण में बीज के अंकुरण और पौधे के पोषण से लेकर दो पत्ती वाले चरण तक लोबिया के आठ बीज उगाने की योजना बनाई है।
एमिटी विश्वविद्यालय, मुंबई द्वारा विकसित एमिटी अंतरिक्ष पादप प्रयोग मॉड्यूल (एपीईएमएस) के तहत सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में पालक के विकास का अध्ययन करने की योजना है।
वीएसएससी द्वारा विकसित ‘डेब्रिस कैप्चर रोबोटिक मैनिपुलेटर’ अंतरिक्ष वातावरण में ‘रोबोटिक मैनिपुलेटर’ से बंधे हुए मलबे को पकड़ने का प्रदर्शन करेगा।
भाषा नेत्रपाल रंजन
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